SOCIAL WORK / आजमगढ़ : दी प्रेस क्लब आजमगढ़ ने मेदांता हॉस्पिटल,लखनऊ के सहयोग से निःशुल्क स्वस्थ शिविर लगाया जिसमे ,300 से ज्यादा पत्रकार बंधुओं व् उनके परिजनों को परामर्श दिया गया व जाँच की गई। शिविर सुबह 10 बजे से 5 बजे तक गोल्डन फार्च्यून के प्रांगड़ में लगाया गया। SOCIAL WORK
इस शिविर में मेदान्ता से आये डॉ. हिमांशु गुप्ता (हृदय रोग विशेषज्ञ), डॉ. धर्मेंद्र सिंह (अस्थि रोग विशेषज्ञ),डॉ. दीपांकर भट्टाचार्य (कैंसर रोग विशेषज्ञ ) व. पारिजात मिश्रा (सामान्य रोग विशेषज्ञ) नि:शुल्क परामर्श दिया। साथ ही ई.सी.जी. (हृदय की जांच), बी.पी. ,शुगर की जांच, पी.एफ.टी. (फेफड़ों की जांच), बी.एम् .डी.(हड्डी की जांच), बी. एम्. आई. आदि नि:शुल्क जांचे भी की। SOCIAL WORK
ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ.हिमांशु गुप्ता ने बताया यदि परिवार माता-पिता, भाई, चाचा या दादा-दादी, को अगर 60 वर्ष की आयु से पहले दिल की बीमारी हुई है, तो आपको भी इस बीमारी से जल्दी पीडि़त होने की आशंका लगभग 10 गुना अधिक होती है।पुरुष के लिए 45 वर्ष से ज्यादा, और महिलाओं के लिए 55 वर्ष से अधिक उम्र होने पर दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है।व्यस्त जीवन शैली के कारण अनियमित आहार, जंक फूड खाना, या अधिक मसालेदार भोजन दिल के दौरे का कारण बनता है।
डॉ. धर्मेंद्र सिंह (अस्थि रोग विशेषज्ञ) ने बताया कि किसी व्यक्ति में ज्यादा वजन होना गठिया रोग की शु रुआत होने के जोखिम के प्रमुख कारकों में से एक है । हमारे जोड़ों में एक निश्चित सीमा तक वजन उठाने की क्षमता है । शरीर का हर एक किलो अतिरिक्त वजन घुटनों पर चार गुना दबाव डालता है । अध्ययन में यह दिखा गया है कि शरीर का 10 फीसदी अतिरिक्त वजन कम करने से गठिया रो ग के दर्द में 50 फीसदी की कमी लाई जा सकती है ।अधिकतर भारतीय मरीज डॉक्टर के पास इलाज के लिए तब पहुंचते हैं ,जब दर्द हद से बढ़ जाता है और इसका असर उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर पडऩे लगता है । इस तरह के पुराने मामलों में पारंपरिक चिकित्सा उपाय, जैसे दवाइयां या जीवनशै ली में बदला व, लंबे समय तक मरीज को उसके दर्द से राहत नहीं दिला पाते । ऐसी हालत में जोड़ों को बदलना (जॉइंट रिप्लेसमेंट) ही एकमात्र उपाय होता है । SOCIAL WORK
डॉ. दीपांकर भट्टाचार्य (कैंसर रोग विशेषज्ञ ) ने बताया कैंसर को लोगों ने अपने जीवन में बड़ा हौवा बना लिया है। जबकि सच तो यह है कि इससे अब डरने की ज्यादा जरूरत नहीं है। केवल सही जानकारी के साथ जागरूक रहते हुए इस बीमारी के कारणों से बचाव कर इसे रोका जा सकता है कैंसर के 40 से 50 फीसदी मामलों को जीवनशैली में बदलाव कर इसके प्रभाव को रोका जा सकता है। 10 से 20 प्रतिशत कैंसर की रोकथाम स्वयं का निरीक्षण या अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देकर किया जा सकता है। अगर कैंसर का पता शुरुआती दौर में लग जाए तो इससे मुक्ति पाना संभव है। SOCIAL WORK
दी प्रेस क्लब के अध्यक्ष एसके सत्येन का कहना है कि आजमगढ़ मंडल का मुख्यालय होने की वजह से आजमगढ़ व आसपास के ज़िलों के मरीज़ बड़ी संख्या में आते हैं, लेकिन कुछ विशेष सुविधायें जब नहीं मिल पाती हैं, तो उन्हें लखनऊ/दिल्ली लेकर जाना पड़ता है। मेदांता जैसे प्रतिष्ठित हॉस्पिटल द्वारा ऐसे मरीजों को घर बैठे निशुल्क परामर्श व जांच करना सराहनीय है, साथ ही भविष्य में भी ऐसे और कैम्प लगाने का आग्रह किया। इस अवसर पर आजमगढ़ के सांसद श्री दिनेश लाल यादव निरहुआ ने इस आयोजन पर सभी लोगों को ढेर सारी शुभकामनाएं दी। SOCIAL WORK