KVK AZAMGARH / करमी या करेमुआ का साग जिसे (वाटर स्पिनाच) भी कहते हैं यह जंगली रूप में ताल तलैया या फिर जलमग्न भागों में पाया जाता है | परन्तु पानी में घुस कर करमी को निकालना या काटना एक कठिन कार्य है इससे किसान अच्छा मुनाफा नहीं प्राप्त कर पाता है | लेकिन अब करमी के साग की खेती भी की जा सकती है। KVK AZAMGARH
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी द्वारा काशी मनु प्रजाति विकसित की गई है। बरसात के मौसम में जलमग्न भू-भाग में उगने वाले करमी साग या करमुआ पोषण सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण खोज है। इस साग को उगाने में किसानों को कम लागत में ज्यादा फायदा होता है। कृषि विज्ञान केंद्र कोटवा के प्रभारी अधिकारी प्रोफेसर डी.के सिंह ने बताया कि करेम की साग पोषक तत्वों से भरपूर होती है, और इसकी खेती साल भर की जा सकती है। केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ विजय कुमार विमल ने बताया कि यह एक पत्तेदार सब्जी है, जिसका सेवन सभी के लिए उपयोगी है। मिट्टी में उगायी गई करमी की साग प्रदूषण मुक्त होती है। काशी मनु प्रजाति की करमी की साग में जिंक आयरन और एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ प्रोटीन की भी प्रचुर मात्रा होती है साथ ही इसमें कैरोटीन और कई खनिज तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए काफी स्वास्थ्यवर्धक होते है। KVK AZAMGARH
इस साग का उत्पादन 90 से 100 टन प्रति हेक्टेयर होता है। इसकी बुवाई बीज अथवा कलम से मेड पर या लाइन में की जा सकती है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है वैसे-वैसे इसकी पैदावार भी अच्छी होती है। बरसात के मौसम में ये तेजी से बढ़ते हैं। इसमें रोग-कीट भी नहीं लगते हैं। इसमें पानी भी बहुत कम लगता है। गर्मियों में 10 से 15 दिन पर सिंचाई की जा सकती है। इसे महीने में 3 से 4 बार काट सकते हैं। एक बार खेत में लगाने पर दो से तीन साल तक उत्पादन ले सकते हैं। आजमगढ़ जिले में इसके प्रचार प्रसार के लिए कृषि विज्ञान केंद्र कोटवा आजमगढ़ के प्रक्षेत्र पर करमी की काशी मनु प्रजाति प्रदर्शन हेतु लगाई गई है। अगले वर्ष तक किसानों के लिए बीज व कलम उपलब्ध कराया जा सकेगा। KVK AZAMGARH