FARMING / आजमगढ़ : इस समय जिले के बहुत से किसानों ने धान की नर्सरी डालना प्रारंभ कर दिया है। यदि इसी समय किसान थोड़ा सा ध्यान देकर बीज शोधन कर लें तो बाद में बहुत सी बीज जनित बीमारियों में कमी लाई जा सकती है। बीज शोधन में जहां रुपये 100 से भी कम की दवा का प्रयोग करके बीमारियों पर नियंत्रण करके उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, वही कंडवा रोग जैसी खतरनाक बीमारियों के नियंत्रण में बाद में लगने वाले व्यय को भी बचाया जा सकता है। FARMING
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र कोटवा, आजमगढ़ के प्रभारी अधिकारी प्रो० डी०के० सिंह के नेतृत्व में कार्य कर रहीं पादप प्रजनन अनुभाग की वैज्ञानिक डॉ० अर्चना देवी ने किसानों को बीज जनित बीमारियों के प्रकोप को कम करने के लिए धान के बीज का बुवाई पूर्व बीज शोधन बहुत जरूरी बताया है। बीज शोधन फसलों में टीकाकरण जैसा ही है। बुवाई पूर्व बीज शोधन एवं रोपाई पूर्व पौध उपचार से बीमारियों में कमी लाई जा सकती है। इसके लिए सर्वप्रथम बीज को कुछ देर के लिए साफ पानी में भिगो दें और उसके बाद पानी के ऊपर तैरते खराब बीज को छान लें। तत्पश्चात स्ट्रैप्टोमाइसीन सल्फेट 90% एवं टेट्रासाइक्लिन 10% की 05 ग्राम मात्रा को प्रति 25 किलोग्राम बीज की दर से 100 लीटर पानी में घोल दें और इसी पानी में बीज को रात भर भिगो दें इसके बाद बीज को पानी से छान लें तथा पानी निकल जाने के बाद 2.5 ग्राम थीरम या 2 ग्राम कार्बेंडाजिम फफूंदनाशी को प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज में अच्छी तरह मिला दें तथा छाया में बीज को अंकुरित करके नर्सरी डालें। ऐसा करने से जीवाणुओं व फफूंदजनित दोनों तरह की बीमारियों में कमी लाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त बीज शोधन हेतु 8-10 ग्राम ट्राइकोडरमा को प्रति किलोग्राम बीज की दर से प्रयोग किया जा सकता है। FARMING
नमक से भी कर सकते हैं बीज शोधन
किसान भाई बीज के शोधन के लिए नमक के घोल का भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए 100 लीटर पानी में 200 ग्राम नमक खोल ले और उसमें 30 किलोग्राम बीज डाल दें। ऐसा करने से जो खराब बीज होते हैं वह पानी की सतह के ऊपर आ जाते हैं और जो अच्छे होते हैं वह नीचे बैठ जाते हैं। जो पानी की सतह पर तैर रहे होते हैं उन बीज को छान कर फेंक देते हैं और अच्छे बीज को घोल में अच्छी तरह से मिलाकर छान लेते हैं। उसके बाद साफ पानी से धुलकर छाया में बोरे पर फैला देते हैं और दूसरे बोरे से ऊपर से उसको ढक देते हैं जिससे ज्यादा पानी निकल जाता है और बीज को हम 12 से 24 घंटे छाया में सूखने के लिए छोड़ देते हैं इससे बीच में अंकुरण आ जाते हैं। उसके बाद हम इसकी नर्सरी खेतों में डालते हैं।
नोट :- यदि प्रमाणित बीज का प्रयोग किया जा रहा है तो नमक के घोल से बीज को शोधन करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। FARMING