AZOLLA FARMING / आजमगढ़ : अजोला पानी के ऊपर पैदा होने वाली एक तैरती हुई जलीय फसल है, यह एक फर्न है जो शैवाल से मिलती-जुलती होती है।अजोला को पशुओ, मुर्गियों, बतखो, मछलियों के लिए पोषक आहार के रूप में उपयोग किया जाता है। यह एक जैव उर्वरक की तरह भी कार्य करती है, इसलिए धान के खेतो में फ़सल रोपने के बाद इसका प्रयोग करते है जिससे खेतों मे खरपतवार कम उगते है, बाद मे यह खेत पर ही कंपोस्ट होकर धान फ़सल को पोषक तत्व भी उपलब्ध कराती है। AZOLLA FARMING
अजोला की पंखुड़ियो में एनाबिना अजोली (Anabaena azollae) नामक नील हरित काई के जाति का एक सूक्ष्मजीव होता है जो सूर्य के प्रकाश में वायुमण्डलीय नत्रजन का यौगिकीकरण करता है और हरे खाद की तरह फसल को नत्रजन की पूर्ति करता है। अजोला में 3.5 प्रतिशत नत्रजन तथा कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो भूमि की ऊर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।अजोला के उपयोग से धान की फसल में 5 से 15 प्रतिशत उत्पादन वृद्ध संभावित रहती है। इसको गोबर मे मिलाकर कंपोस्ट करने अथवा केंचुओ के द्वारा ( वर्मी कंपोस्ट) कंपोस्ट कराने पर पोषक तत्वों से भरपूर खाद प्राप्त होती है। AZOLLA FARMING
अजोला के अंदर प्रोटीन, आवश्यक अमीनो अम्ल, विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी-12 तथा बीटा कैरोटीन), एवं कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, लोहा, कॉपर एवं मैग्नीशियम से भरपूर मात्रा मे उपलब्ध रहता है। शुष्क वजन के आधार पर इसमें 20-30 प्रतिशत प्रोटीन, 20-30 प्रतिशत वसा, 50-70 प्रतिशत खनिज लवण, 10-13 प्रतिशत रेशा, बायो-एक्टिव पदार्थ एवं बायो पॉलीमर पाये जाते हैं। जिससे इसका प्रयोग पशु, पक्षी, मुर्गिया, मछलियाँ आदि को चारे के साथ मिला कर किया जाता है। जिससे कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता युक्त आहार प्राप्त होता है।
अजोला कम लागत व न्यूनतम श्रम में पैदा होने वाला उच्च प्रोटीन युक्त, पोषक तत्वों से भरपूर बहुउपयोगी फसल है। अजोला का उपयोग हरे चारे व जैविक खाद के रूप में बहुत ही लाभकारी है। आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र कोटवा के डॉ रणधीर नायक वरिष्ठ वैज्ञानिक (मृदा विज्ञान) ने बताया कि केन्द्र पर अजोला का उत्पादन कर धान के खेत मे जैविक खाद की तरह प्रयोग किया जा रहा है । इसके साथ ही अजोला को मुर्गियों व बकरियों के चारे में मिलाकर खिलाया जा रहा है। जिससे न्यूनतम लागत में हमारे पशुओं को अधिक गुणवत्ता युक्त पौष्टिक आहार उपलब्ध हो रहा है। पशु भी इसे बड़े चाव से खाते हैं।
साथ ही फार्म पर पाली जा रही देशी मुर्गियां भी इसे बहुत पसंद करती है। इस तरह अजोला का उपयोग करने पर पशुओं के दूध में वृद्धि होती है तथा मुर्गियां तेजी से वृद्धि कर अधिक अंडे उत्पन्न करती है।
प्रभारी अधिकारी प्रोफेसर डी के सिंह ने सभी किसानों को सुझाव दिया कि सभी अपने खेत पर अजोला इकाई स्थापित कर धान के खेतों में जैविक उर्वरक की तरह उपयोग करे, वर्मीकम्पोस्ट में गोबर के साथ मिलाकर केंचुआ को दें। गाय , भैंस, बकरी व मुर्गियों को अजोला खिलाएं और पशु आहार में आने वाले अधिक लागत में कमी करके लाभ प्राप्त करें। AZOLLA FARMING